खलनायक से लेकर आज तक

खलनायक से लेकर आज तक


 



 


राजनीति में आरोप प्रत्यारोप का एक चलन सा हो गया है। एक दूसरे के दलों पर प्रतिक्रिया देना अनिवार्य नहीं है। फिर भी हर कोई टिप्पणी करता है और राजनैतिक वातावरण में सरगर्मी बढ़ जाती है। हलचलमय राजनीति हो जाती है। इस बीमारी से छोटे लेकर बड़े नेता भी ग्रसित है। बस अवसर मिलना चाहिए और टिप्पणी तैयार, प्रतिक्रिया तैयार, फिर उस प्रतिक्रिया तैयार और अखबारों को मसाला तैयारनेता कौम की परिभाषा एक सी है, वे किसी भी दल के नेता हो सारे एक ही आचरण के शिकार होते हैं। कैसे कोई मुद्दा बोलने का मिले और सारी भड़ास निकालने को तैयार, कई बार तो ये देखा गया है कि शहर के छोटे नेता भी टिप्पणी करने लायक हैसियत नहीं होने के बाद सीधे मोदी, शाह और राहुल गांधी पर ऐसे टिप्पणी करेंगे जैसे मोदी, शाह, राहुल को इन महाशय के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। खैर मुख्य चर्चा यह है कि गत दिनों इंदौर -3 के विधायक आकाश विजयवर्गीय उस समय चर्चा में आए जब उन्हान बेट से निगम अधिकारी की पिटाई की। खूब चर्चा चली। शहर से लेकर प्रदेश और मोदी तक। 


मोदी के सख्त रवैये से उस पर विराम लगा। हाल ही में एक आयोजन में आकाश विजयवर्गीय फिर चर्चा में आए। जब उनका एक वीडियो सार्वजनिक हुआ, जिसमे वे किसी आयोजन में डांस कर रहे थे। डांस करना बुरा नहीं है, परंतु डांस जिस गाने पर कर रहे थे उस कारण विरोधी दलों ने मुद्दा लपक लिया। वे डांस कर रहे थे (नायक नहीं खलनायक हूँ मैं) बस मुद्दा मिल गया और अखबार की सुर्खियां बनी, वहीं लोकनिर्माण मंत्री सज्जन वर्मा ने टिप्पणी की और कहा कि 'कैलाश विजयवर्गीय और आकाश विजयवर्गीय को नाच गाने की मंडली बना लेना चाहिए' बात यहीं नहीं रूकी, बात चलते-चलते भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव या कहें आकाश विजयवर्गीय के पिताश्री तक पहुंची और पत्रकारों ने करेद-करेद कर पछा कि सज्जन वर्मा कह रहे हैं कि पिता-पुत्र को नाच गाने की मंडली खोल लेना चाहिए, तो कैलाशजी ने बड़े नेता होने के नाते सज्जनसिंह वर्मा जो कि सांसद भी रह चुके हैं प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री भी है के लिए कहा कि 'मैं इतने छोटे नेता पर कोई टिप्पणी नहीं करता' इस पर हालांकि अभी सज्जन वर्मा की टिप्पणी/प्रतिक्रिया आना शेष है। अच्छा ऐसा भी नहीं है कि कैलाश जी की इस टिप्पणी पर सज्जन वर्मा चुप बैठ जाएंगे, मौन रह जाएंगे, अन्यथा वे सच में छोटे नेता साबित नहीं हो जाएंगे।