खेल मंत्री JITENDRA PATWARI के विदेश में रहते हस्ताक्षर, जारी हुए पत्र

स्टाफ का अनूठा खेल देख हर कोई अचंभित



इंदौर। शासन और जिला प्रशासन में जो हो जाए वह कम है। सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों पर लापरवाही __व प्रष्टाचार कारापता लगत हाह, लेकिन कभी-कभी ऐसे मामले भी सामने आते हैं कि हर कोई सोचने पर मजबर हो जाता है। ताजा मामला भी कुछ सोचने पर मजबूर करता है। दरअसल प्रदेश के खेल मंत्री के लंदन में होने के बाद भी उनके हस्ताक्षर से इंदौर में पत्र जारी हो गए। खेल मंत्री के स्टाफ का यह अनूठा खेल देखकर हर कोई अचभित है।


लोगों को सहायता राशि दिलाने के लिए प्रदेश के खेल मंत्री जीतू पटवारी के लेटर हेड पर उनके अपने स्टाफ ने जिला प्रशासन को शुल्क माफ या रेड क्रास निधि से शिक्षण शुल्क दिलाने के लिए एक अनुशंसा पत्र जारी कर दिया। यह पत्र सीधे अपर कलेक्टर के हाथों में पहुंचा। जब यह पत्र लेकर आवेदिका कार्यालय में आई तो उसने संबंधित अधिकारी की जानकारी मागा, तब पता चला कि 17 सितंबर को प्रदेश के खेल मंत्री जीत पटवारी के हस्ताक्षर से जारी हुआ पत्र उसे दिया गया था। पटवारी 3 दिनों से इंदौर ही नहीं देश में भी नहीं थे। वे लंदन गए हुए थे। उनकी यात्रा के दौरान उनका स्टाफ वर्तमान तारीख में खुद के हस्ताक्षर को मंत्री के हस्ताक्षर बताकर पत्र जारी कर दिया।


आखिर किसने किए हस्ताक्षर - पूर्व में भी इस तरह के पत्र मंत्री और विधायकों के हस्ताक्षर से सामने आते रहे हैं। मंत्री अधिकारियों को पत्र लिखते हैं, किंतु अधिकारी उनके हस्ताक्षर को लेकर कभी पूछताछ नहीं करते हैं। जब मंत्री देश में ही नहीं है, तो उनके हस्ताक्षर किसने किए यह एक विचारणीय पहलू हो गया है। स्टाफ ने उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठाते हए शरण हस्ताक्षर को स्वयं ही मंत्री को बदनाम करने का प्रयास किया है। हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना था कि इमरजेंसी के चलते कुछ लेटरहेड पर वह हस्ताक्षर करके गए थे।


करते हैं पहल - उल्लेखनीय है कि विधायक रमेश मेंदोला स्कूली बच्चों के शुल्क के लिए पत्र लिखने के बजाय अपनी विधायक निधि का उपयोग इसमें करते रहे । वहीं महापौर के रूप में कृष्णमुरारी मोघे ने भी शिक्षण शुल्क जमा कराया था। रेडक्रास निधि से फीस दिलवाने की अनुशंसा करने वाले विधायक क भी बीमारियों के उपचार में दिए जाने वाले सहयोग के लिए अपने समर्थकों से जिलों में रशि जमा करवाने की पहल नहीं करते। वे जब इस राशि के लिए अधिकारी नियम बनाकर मांग करते हैं तो उनसे राशि में छूट दिलवाने के लिए अवश्य पहल करते हैं। इस संबंध में श्री पटवारी के लौटने के बाद उनसे चर्चा का प्रयास किया, लेकिन चर्चा नहीं हो सकी।