भोपाल/इंदौर। बहुचर्चित हनी ट्रेप मामले का खुलासा होने के बाद युवतियों के हुस्न का शिकार होकर ब्लेकमेलिंग का शिकार हुए, शासकीय अधिकारी, राजनेता और उद्योगपतियों को इस बात का भय सता रहा है कि कहीं उनकी भी वीडियो न बाहर आ जाए। उधर, एसआईटी की टीम अलग-अलग बिंदुओं पर जांच करते हुए साक्ष्य जुटा रही है।
एसआईटी अलग-अलग विभागों के इन कॉन्ट्रैक्ट और टेंडर का विश्लेषण कर रही है। जांच अधिकारियों को शक है कि इस मामले का असली मास्टरमाइंड अभी भी पर्दे के पीछे है, जिसने इस हनी ट्रैप रिंग को उनके टारगेट दिए होंगे और यह भी तय किया होगा कि किससे पैसे लेने है और किससे कॉन्ट्रैक्ट करना है। इस चर्चित मामले में पुलिस ने जो सबूत इकट्ठा किए हैं उसमें आईएएस अधिकारियों और नेताओं की 4 हजार अश्लील विडियो, तस्वीरें और सेक्स चैट शामिल हैं|
कोई भी बचनेनपाए-सीएम
सीएम कमलनाथ ने मामले में शामिल नौकरशाहों के बारे में और अधिक जानकारी मांगी है। साथ ही एसआईटी को निर्देश किए है कि पद का ख्याल किए बिना कार्रवाई हो और कोई भी बचने न पाए। मामले की जांच काफी संवेदनशील है और आरोपियों से केवल वरिष्ठ अधिकारी ही मुलाकात कर रहे हैं। सबसे बड़ा चैलेंज विडियो को गलत हाथों में जाने से रोकने का है।
कई प्रदेशों में रैकेट
देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल कहे जाने वाले इस मामले की कहानी पूर्व मंत्रियों, सत्ताधारी नेता और ब्यूरोक्रेट्स को सेक्स के जाल में फंसाकर उन्हें ब्लैकमेल कर करोड़ों के टेंडर और कॉन्ट्रैक्ट वसूलने की है। जब सेक्स रैकिट का भंडाफोड़ हुआ तो कई नेताओं ने कहा कि मैं नहीं, मैं नहीं। इससे पुलिस को संकेत मिले हैं कि इस रैकिट में केंद्र से भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं और साथ ही यह रैकिट 5 प्रदेशों तक फैला हो सकता है।
पूरे सिस्टम पर पकड़ थी- एसएसपी
एसएसपी इंदौर रुचि वर्धन मिश्रा ने बताया, यह वाकई हैरान करने वाला है कि कैसे इन महिलाओं की पूरे सिस्टम में पकड़ थी और कितनी आसानी से वे इसे अंजाम देती थीं। रैकिट चलाने का उनका तरीका आसान था- नेताओं और अधिकारियों से इवेंट में मुलाकात करना, फिर उन्हें खूबसूरत लड़कियों के जाल में फंसाना, उन्हें एक लग्जरी होटल रूम में बुलाना, गुप्त रूप से उनके विडियो बनाना और इसके बाद उन्हें ब्लैकमेल करना।
मिला कर मुक्त पैसा!
पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों ने इन्हें सीधे-सीधे करोड़ों रुपये कैश दिए तो कुछ ने टेंडर, कॉन्ट्रैक्ट और एनजीओ के लिए फंड के रूप में। इस मामले में एक मोड़ यह भी है कि जो पैसा इनके एनजीओ को दिया था, वह संभवतः कर मुक्त था। दोनों श्वेता ने फर्म खोली थी जिसका इस्तेमाल उन्होंने हनी ट्रैप के फंसाए लोगों से कॉन्ट्रैक्ट लेने में किया।