मुख्यमंत्री कमलनाथ का एक दौर ऐसा भी था, जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और कमलनाथ कांग्रेस सरकार में केन्द्रीय मंत्री थे। तब मोदी कमलनाथ से मिलने आते थे। आत मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के कमलनाथ है और मोदी प्रधानमंत्री है। कांग्रेस ने पूर्व में कहा है कि केन्द्र राज्यसरकार को सहयोग नहीं कर रही है। कई बार राज्य के मंत्रियों ने केंद्र के रवैये पर उंगली उठाई है। वहीं कमलनाथ ने भी अनेक अवसरों पर मोदीजी को इंगित करते हुए कहा है कि मैंने केंद्रीय मंत्री रहते मोदीजी को जितना दिया है, उतना वे ब्याज सहित मध्यप्रदेश को लौटा दें। पहला प्रश्न यह है कि केन्द्रीयमंत्री ने योजना के तहत नीतिगत ही (मोदीजी को नहीं) गुजरात को दिया होगा। फिर दिया गया क्या इस होगा। फिर दिया गया क्या इस शर्त पर था कि वो ब्याज सहित लौटाना पड़ेगा, फिर आज जोआप ले रहे हैं, फिर क्या उसे भविष्य में ब्याज सहित लौटा पाएंगे। खैर यह राजनीतिक घटनाक्रम है और नेता काम है बोलना, परंतु पत्रकार के नाते हमारा काम है उनको तोलना। तुलने की बात करें तो समाचार पत्र में मोदी-कमलनाथ या प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की मुलाकात की खबर व फोटो छपे थे। यह तय है कि कमलनाथ मोदी से मिलने नहीं आए थे, एक मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से मिलने आए थे और मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। दोनों का बैठे हुए फोटो हमने देखा कि प्रधानमंत्री सीधे कुर्सी पर बैठे हैं। दोनों पैर अनुशासन में या एक मुख्यमंत्री के समक्ष बैठने का अनुशासन कहे, वे सीधे बैठे हुए थे, जबकि मुख्यमंत्री के नाते कमलनाथ को भी वैसेही गरिमा का परिचय देकर बैठना था। उसके बदले कमलनाथ का अनुशासन उचित नहीं लगा। वे एक पैर पर दूसरा पैर रखकर बैठे हुए थे।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की बॉडी लेंग्वेज ठीक नहीं