पहले भाजपा और अब कांग्रेस नेताओं का दबाव बना रहे एजेंट
इंदौर। प्रदेश में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया हो, लेकिन आरटीओ में अभी भी राजनीति हावी है, पहले एजेंट भाजपा नेताओं का हवाला दे फाइलें साइन कराते थे और अब जब कांग्रेस की सरकार प्रदेश में है तो कांग्रेसी नेताओं का नाम फाइल पास कराने के लिए लिया जा रहा है यहां तक अफसरों पर फाइल सही हो या गलत उसे पास करने का दबाव बनाया जाता है। यदि अफसर फाइल साइन करने में आना कानी करते हैं तो एजेंट उन पर उनके आका नेता से बात करने का दबाव बनाते हैं, इस तरह राजनैतिक दबाव में अफसर ना चाह कर भी गलत फाइलों पर महर लगा उसे पास कर रहे हैं।
कार्यालय में मनमानी की पार्किंग
नायता मुंडला स्थिति आरटीओ कार्यालय में दोपहिया वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था अलग से की गई है, लेकिन आरटीओ कार्यालय में काम करने आने वाले एजेंट और आम आवेदक कहीं पर भी वाहन पार्क कर देते हैं, जो अफसरों के लिए भी अब सिरदर्द बन गया है। हालत यह है कि आरटीओ जितेंद्र सिंह रघुवंशी सहित अन्य अफसरों को भी अपने वाहन पार्क करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। समझाइश के बाद भी एजेंट नहीं सुधर रहे हैं। हालांकि अब अफसर चालानी कार्रवाई की बात जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनके यह कदम कितने कारगर होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
इंदौर आरटीओ राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा का कहीं ना कहीं अखाड़ा बनता जा रहा है। पहले भाजपा सरकार थी तो एजेंट फाइलों में भाजपा नेताओं का नाम लिख उसे पास करने के लिए अफसरों पर दबाव बनाते थे और अब कांग्रेस सरकार हो गई तो दर्जनों एजेंट हर दिन किसी न किसी नेता के नाम की फाइल या लायसेंस लेकर अफसरों के चेंबर में पहुंच रहे हैं और यह कहते हैं कि ये फलाने नेता के परिचित की फाइल है, इसे पास कर दें। यदि अफसर जरा सी भी आना- कानी करते हैं तो उन पर राजनैतिक गलियारों से प्रेशर बनवाया जाता है।
खुद ही बताते हैं रास्ता
आरटीओ में काम करने वाले बाबू किसी नटवरलाल से कम नहीं हैं, यह खुद ही एजेंटों को रास्ता बताते हैं कि फाइल आधी अधूरी है तो इसे पास कैसे कराना है, इसके लिए वह एजेंटों से कहते हैं कि संबंधित आरटीओ अधिकारी को उस नेता से बात करा दो तुम्हारा काम हो जाएगा। इस पर एजेंट अपने आका नेता से अधिकारी को फोन कराते हैं और फिर इस तरह आरटीओ में काम होता है।
आरटीओ कार्यालय में इन दिनों हालात ऐसे हैं कि अफसर मजबूरी में भी फाइलों को ना चाह कर भी पास कर रहे हैं, ऐसे में कोई बड़ी गड़बड़ी होने पर वह खुद तो बच जाते हैं और पूरा ठिकरा बाबुओं पर ढोल देते हैं कि आखिरकार उन्होंने फाइल क्या देखी थी, ऐसे में लापरवाही उनके सिर कर वह बच जाते हैं। पिछले दिनों हैवी ड्राइविंग लायसेंस बनवाने में बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीट का प्रयोग हुआ और रैकेट उजागर हुआ तो बाबू के सिर जिम्मेदार ढोल अफसरों ने पल्ला झाड़ लिया जबकि उनके ही अनुमति से यह लायसेंस बने थे। ऐसे में कहा यह जा सकता कि पूरे मामले में सही और गलत कौन है यह फैसला बाद में होता है।
ताकि उजागर न हो सिफारिश
फाइलों के ऊपर एजेंट पेंसिल से नेता का नाम लिखते हैं और जैसे ही फाइल पास हो जाती है उस नेता के नाम को हटा दिया जाता है ताकि गड़बड़ी होने पर नेता की सिफारिश की बाद उजागर ना हो। इस तरह आरटीओ में लंबे समय से अंधेरगर्दी मची हुई है लेकिन हंगामा तब ही होता है जब बात बढ़ जाती है।
बिना हेलमेट आरटीओ में नहीं मिलेगा प्रवेश
इंदौर। अब तक दोपहिया वाहन चालक बगैर हेलमेट पहने ही नायता मुंडला स्थित आरटीओ कार्यालय में जहां-तहां दोपहिया वाहन दौड़ाते रहते हैं, लेकिन आने वाले दिनों में आरटीओ रघुवंशी दोपहिया वाहन चालकों पर जल्द ही शिकंजा कसने वाले हैं और यदि सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में बगैर हेलमेट के दोपिहया वाहनों को परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अफसर जल्द ही नियम लागू करने की तैयारी में हैं और आने वाले दिनों में आदेश भी जारी हो जाएंगे। आपको बता दें कि अब आरटीओ कार्यालय में भी हेलमेट को अनिवार्य किया जाएगा। दरअसल अभी तक दोपहिया वाहन चालक बगैर हेलमेट पहने ही वाहनों को आरटीओ परिसर में इधर-उधर दौड़ाते रहते हैं लेकिन आरटीओ अब दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी गाइडलाइन जारी करने जा रहा है, जिसके बाद उन्हीं दोपहिया वाहनों को कार्यालय परिसर में प्रवेश दिया जाएगा, जो हेलमेट पहनकर आएंगे। सूत्रों का कहना है कि इंदौर आरटीओ कार्यालय में पदस्थ एक एआरटीओ ने शीर्ष अफसरों को प्रस्ताव दिया था जिसमें कहा गया था कि बगैर हेलमेट वाहन दौड़ाने वाले दोपहिया वाहन चालकों पर कार्रवाई की जाए।
ट्रायल में घोर लापरवाही
वहीं टू व्हीलर लाइसेंस जारी करने के पहले आरटीओ दोपहिया वाहन चालकों का बकायदा ट्रैक पर ट्रायल लेता है, लेकिन यहां भी घोर लापरवाही देखने को मिल रही है। दरअसल नियम यह है कि ट्रॉयल ट्रैक पर ट्रॉयल देने आए दोपहिया वाहन चालक को हेलमेट पहनकर ही ट्रॉयल देना अनिवार्य है, लेकिन नायता मुंडला स्थित आरटीओ कार्यालय में बगैर हेलमेट पहने ही वाहन चालक रोजाना ट्रायल दे रहे हैं। अफसरों की नाक के नीचे यह सबकुछ चल रहा है लेकिन फिर भी अब तक लापरवाही बरती जा रही है। यदि आरटीओ कार्यालय में हेलमेट प्रथा लागू करनी है तो सबसे पहले ट्रॉयल देने आने वाले चालकों पर इसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है वरना लापरवाही यूं ही जारी रहेगी।